डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"प्रभु का भजन कर"


प्रभु का भजन कर प्रभु का भजन कर।
आये विपत्ती तो प्रभु को नमन कर।।


वही हैं सहायक वही सबके रक्षक।
वही ज्ञानदाता वही सबके शिक्षक।।


सुनते हैं सबकी खबर सबकी लेते।
रक्षा कवच बन सबसे हैं मिलते।।


पार लगाते वही सबकी नैय्या।
लेते किसी से नहीं कुछ खेवइया।।


ऐसे दयालू का पूजन भजन कर।
स्नेह लगाकर चरण को नमन कर।।


ऐसे प्यारे प्रभु  को कभी ना भुलाना।
करते स्मरण रहना हर क्षण बुलाना।।


सुनते वे सबकी उन्हें जो बुलाता।
खाते हैं सबकी उन्हें जो खिलाता।।


भक्तों के भावों में वे ही समाये।
भक्तों के दिल में  हैं धूनी रमाये।


मन से पुकारो तो दौड़े वे आते।
विपदा के वंधन से मुक्ती दिलाते।।


अतिशय सहज और अतिशय सरल हैं।
रक्षार्थ भक्तों के पीते गरल हैं।।


ऐसे कृपालू का नियमित भजन कर।
चरण-सरोज को नियमित नमन कर।।


छोड़ो न संगति चलो उनके पथ पर।
देखो वे कैसे बैठाते पलक पर।।


उन्हीं की है लीला उन्हीं की है माया।
वही भोले बाबा उन्हीं की है दाया।।


ऐसे सहज प्रभु का निश्चित भजन कर।
सबकुछ भुलाकर बस उनको नमन कर।।


रचनाकार:


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


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