"मैँ मतिमंद मूढ़ अज्ञानी"
(चौपाई)
मैं मतिमंद मूढ़ अज्ञानी।
सारी दुनिया बहुत सयानी।।
मुझसे ज्ञानी हर प्राणी है।
यह जगती वीणापाणी है।।
मैँ सबके समक्ष नतमस्तक।
सीख रहा हूँ पढ़ना पुस्तक।।
ज्ञान पिपासु सहज मैँ भाई।
करता हूँ सबकी सेवकाई।।
थोड़ा सा भी मुझे पिला दो।
मुझ मरते को अद्य जिला दो।।
अति मति भ्रमित सुनो मैँ भाई।
ज्ञान रश्मि दे बनो सहाई।।
मुझ मूरख की बाँह पकड़ लो।
मोह निशा से ऊपर कर दो।।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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