गीत - मौत और जिंदगी
-----------------------------
मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।
नींद सपने सजाकर कलह बो गयी ।।
मोड़ पे हम मिलेंगे ये वादा किया ।
हमने पूरा नहीं सिर्फ आधा किया ।
सिलसिला भूख का यूँ शुरू हो गया,
जिंदगी की हमारी वजह खो गयी ।
मौत और जिन्दगी में सुलह हो गयी ।।1
उम्र स्वागत में उसके खड़ी हो गयी ।
हम को ऐसा लगा वो बड़ी हो गयी ।
देह गलती रही सांस चलती रही ,
देख कर नित झमेले वो खुद रो गयी ।
मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।।2
हम कहाँ हैं गलत सच हमें भी बता ।
सामने वार कर यूँ न हमको सता ।
हौसलों का शजर है हमारा सफ़र ,
छोड़ दावे पुराने कहाँ सो गयी ।
मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।।3
जो भी हमको मिला हमने माना सिला ।
गालियां तक सुनीं पर न माना गिला ।
दर्द पीता रहे घाव सीते रहे ,
पाप "हलधर" हमारे कलम धो गयी ।
मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।।4
हलधर -9897346173
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें