ग़ज़ल (हिंदी)
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करोना के घने साये बताओ कौन छांटेगा ।
कराहती भारती के जख्म बोलो कौन पाटेगा ।
जमातें मज़हबी फैला रहीं है संकमण यारो ,
सियासत का बुना यह जाल बोलो कौन काटेगा ।
यहाँ दीपक जलाने पर सियासत रंग लायी है,
बहाना शक्ति ग्रिड होगा गधा भी ज्ञान बांटेगा ।
जरा नजदीक आने दे समंदर अपनी लहरों को ,
अगर हम डर गये इनसे इन्हें फिर कौन डांटेगा ।
चिकित्सक और नर्सों का किया अपमान है जिसने ,
कमीना थूक अपना जेल के अंदर वो चाटेगा ।
समूचे विश्व की आँखें लगी हैं आज भारत पर ,
सही निर्णय हमारे देश के संकट को फांटेगा ।
अभी कुछ बुद्धिजीवी देश को गुमराह करते है ,
करेगा प्रश्न यदि "हलधर" तो नेता साफ नांटेगा।
हलधर -9897346173
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