गीत - यह संभव नहीं है
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मान लें कठिनाइयों से हार यह संभव नहीं है ।
रोग कोरोना करे लाचार यह संभव नहीं है ।।
मौत देखो आँख से काजल चुराती घूमती है ।
नित नई कोशिश हमारी जिंदगी को चूमती है ।
सांस अब भी चल रही है ,दीपकों सी बल रही है ,
छोड़ दें हम हाथ से तलवार यह संभव नहीं है ।।
मान लें कठिनाइयों से हार यह संभव नहीं है ।।1
राह के हम वो मुसाफिर जो कभी थकना न जाने ।
रोग हो या युद्ध होवे हम कभी हटना न जाने ।
देश सारे रो रहे हैं , आत्म संयम खो रहे हैं,
फेंक दें हम नाव से पतवार यह संभव नहीं है ।
मान लें कठिनाइयों से हार यह संभव नहीं है ।।2
व्याधि की गति भी यहां पल भर नहीं आराम पाती ।
काल की रति भी यहां पर नित नए पैगाम लाती ।
पर चिकित्सक लड़ रहे ,मौत सम्मुख अड़ रहे हैं ,
चेतना के बंद होवें द्वार यह संभव नहीं है ।
मान लें कठिनाइयों से हार यह संभव नहीं है ।।3
चार दिन का है अंधेरा फिर उजाले ही उजाले ।
शांति संयम से मरेंगे रोग के यह नाग काले ।
प्रश्न का उत्तर यही है ,बात "हलधर"की सही है ,
कुछ जमातें रोक दें उपचार यह संभव नहीं है ।
मान लें कठिनाइयों से हार यह संभव नहीं है ।।4
हलधर -9897346173
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