मुक्तिका ( ग़ज़ल)
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चाँद पथ से फिसलता है आपको मालूम क्या।
रोज सूरज पिघलता है आपको मालूम क्या ।
आदतें मेरी किसी के प्यार की मुहताज हैं ,
वो मुखौटे बदलता है आपको मालूम क्या ।
धूल खाये आइने सा आज का माहौल है ,
साफ दिखना सफलता है आपको मालूम क्या।
दिल हमारा हास्य का बस्ता सरीखा था कभी ,
आज रोकर बहलता है आपको मालूम क्या ।
भूख से घायल भिखारी हिंदु मुस्लिम हो गए ,
देख कर दिल दहलता है आपको मालूम क्या ।
अब हलाला पाप है कानून भी यह पास है ,
मौलबी क्यों मचलता है आपको मालूम क्या ।
निर्भया को न्याय में क्यों देर इतनी हो गयी ,
तंत्र की ये विफलता है आपको मालूम क्या ।
मरकजों की हरकतों पे आज थोड़ा ध्यान दो ,
कौन नंगा टहलता है आपको मालूम क्या ।
क्या कभी सोचा किसी ने कैद खाना घर बने ,
वक्त की ये जटिलता है आपको मालूम क्या ।
इक विषाणू विश्व में"हलधर" पहेली बन गया ,
रोज मानस निगलता है आपको मालूम क्या ।
हलधर -9897346173
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