ग़ज़ल -आज के हालात पर
-----------------------------------
समंदर तक खँगाले जा रहे हैं ।
सड़े मोती निकले जा रहे हैं ।
कहें जो संघ को आतंकवादी ,
वही मरकज़ सँभाले जा रहे हैं ।
जहाँ चाकू भी वर्जित था बताओ ,
वहाँ बंदूक भाले जा रहे हैं ।
अभी भी देश के कुछ चैनलों पर ,
दबे मुद्दे उछाले जा रहे हैं ।
यहाँ इक सोच ऐसी पल रही है ,
दिलों में द्वेष घाले जा रहे हैं ।
चिकित्सक नर्स पीटे जा रहे हैं ,
विदेशों तक रिसाले जा रहे हैं ।
पुरानी सोच में भटके उलेमा ,
नवी पर दोष डाले जा रहे हैं ।
कहे "हलधर" हमेशा बात सच्ची ,
जमीं पर नाग पाले जा रहे हैं ।
हलधर -9897346173
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें