🙏बिदाई🙏
🙏मां कैसे विदा करूं मैं तुझको
नैन मेरे भर आते हैं
नौ दिन रही मेहमान
कलश ,अखंड ज्योत, हवन
दुर्गा सप्तशती के पाठ
धूप ,दीप ,नैवेद्य ,आरती
पूजा में मां कमी रही
क्षमा मुझे तुम कर देना
रीति मुझे निभानी है मां
विदा आपको करना है
मन मंदिर के आसन पर मा
सदा विराजित रहोगी तुम
बालक की हर विपदा को
वचन दो मा़ं हरोगी तुम
जगत जननी तुम कहलाती हो
जगत की पीर हरोगी तुम
जब जब तुमको याद करूं मां
सर पर हाथ तुम्हारा होगा
मन को यह विश्वास है मां
जग की पीड़ा निवारोगी तुम🙏
जय श्री तिवारी खंडवा
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
जय श्री तिवारी खंडवा
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