जया मोहन प्रयागराज

लघुकथा
धर्म
सड़क के किनारे एक घायल बृद्धा तडप रही थी।आते जाते लोग कुछ देर तमाशबीन बनते फिर अपनी सलाह हवा में उछाल कर चले जाते।कोई कहता कैसे है इसके घर वाले इस उम्र में अकेला भेज दिया कोई कहता भैया ये बुढ़िया ही नही मानती होगी।कोई ऐसा नही था जो बुढ़िया का दर्द कम करने मे सहयोग करता।उसे अस्पताल पहुँचाता।लोग कहते बेटा अफसर है ।अपनी माँ के प्रति कर्तव्य भूल गया।अरे भैया लोग धर्म भूल गए।जबकि खुद इंसानियत का धर्म भूले थे।उधर से गुजर रहा रिक्शा वाला रुक गया। वह बिना किसी से बोले बिन सलाह दिए चुपचाप अस्पताल ले जाने के लिए बुढ़िया को रिक्शे पर लाद लिया और चल पड़ा।उसने अपना कर्तव्य पूरा कर बिन बोले ही मानवता का धर्म सीखा दिया।


स्वरचित
जया मोहन
प्रयागराज


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