🎍गौ माता🎍
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हरे हरे तिनकों पर
अमृत घट छलकाती गौ माता,
जब जब कृष्ण बजाते मुरली,
लाड़ लड़ाती गौ माता।
तुम्हीं धर्म हो, तुम्हीं सत्य हो,
पृथ्वी सा सब सहती हो,
प्यासे जग में सदा दूध की,
नदी बहाती गौ माता।
दूध पुकार रहा है तेरा,
आज दूध की लाज रहे,
अब न कहीं गौ वंश का कत्ल हो,
यह संकल्प रहे जन जन का।
अश्रु भरी आंखों में मौन पुकार ,
लगा रही है गौ माता,
जब जब कृष्ण बजाते मुरली,
लाड़ लड़ाती गौ माता।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
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