*गाय माता की ममता*
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गाय माता ममता का भंडार है,
रूका सूखा भोजन करके,
हमको दुग्ध पान करती है,
हमारा इससे जन्म जन्म का नाता।
समुद्र मंथन से प्रकट हुई है,
वेदों ने इसकी महिमा गाई,
इसके दूध दही घी से
पंचगव्य बनता है,
यह रोग मुक्ति दिलाता है।
धन दौलत के लालच में हम,
गाय को बूचड़खानो में बेच रहे हैं,
अपने ही हाथों से गौ माता को,
बूचड़खानों में कटवा रहे हैं।
गौ माता का यूं अन्याय ना करो,
पृथ्वी पर पापाचार बड़ रहा है,
यदि विपत्तियों से छुटकारा पाना है
गौ को राष्ट्र माता बनाना है।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
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