*प्रकृति से शिक्षा सीखें*
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पेड़ों की डाली से सीखें ,
फल पाकर के झुक जाना।
पर्वत की चोटी से सीखें,
काफी ऊंचे उठ जाना।
फूलों से हम हंसना सीखें,
भौरों से हम सीखें गाना।
सूरज की किरणों से सीखें,
जगना और जगाना ।
सुई और धागे से सीखें,
बिछुडे़ को गले लगाना।
पेड़ों के पतझड़ से सीखें,
दुःख में धीर धरना।
भौरों से भी कुछ हम सीखें ,
मीठे बोल बोलना।
मुर्गे की बोली से सीखें,
प्रात समय पर ही उठ जाना।
जीवन को यदि सफल बनाना है तो
प्रकृति से हम कुछ सीखें।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
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