न जाने कब मिले और कब बिछड़ गए हम ,
तेरी खातिर न जाने कहां कहां गए हम ,
ये दिल भी खामोश था हम भी खामोश थे ,
क्या करें ऐ दोस्त जिन्दगी यूं ही बसर कर रहे हम ,
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यार इस तरहा खौफ खाता न कर ,
कुछ थोड़ी सी हिम्मत तो जुटाया कर ,
अकेला आया था जग में पगले ,
तू अकेला ही जग से जायेगा ,
अरे इस तरहा बुजदिली मत दिखाया कर ,
कैलाश , दुबे ,
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