कन्हैया साहू 'अमित'*✍ भाटापारा छत्तीसगढ़

*आल्हा छंदाधारित गीत~ कोरोना विरुद्ध*


तालाबंदी फिर हो जाती, पड़ी महामारी की मार।
लड़नी हमको कठिन लड़ाई, मचा हुआ है हाहाकार।।



वैश्विक है यह अजब समस्या, तीव्र संक्रमण, भीषण जाल।
चीन जनित कोरोना कोविद, बीमारी बन आई काल।।
उलझ गया विज्ञान तंत्र भी, ढ़ूँढ रहा इसका उपचार।
तालाबंदी फिर हो जाती, पड़ी महामारी की मार।।-1



छेड़ा कुदरत को मनमर्जी, उपजा उर में अनुचित लोभ।
व्यर्थ अकारण दोहन करते, उठा नहीं क्यों मन में क्षोभ।
बाहुबली बन फिरता मानव, दिखता आज खड़ा लाचार।
तालाबंदी फिर हो जाती, पड़ी महामारी की मार।।-2



पालन करें लाकडाउन का, लेकर सरकारी संज्ञान।
व्याधि भयावह, नहीं दवाई, अभी कारगर यही निदान।।
घर में रहकर काम करें सब, 'अमित' सुखद होगा निस्तार।
तालाबंदी फिर हो जाती, पड़ी महामारी की मार।।-3



तालाबंदी फिर हो जाती, पड़ी महामारी की मार।
लड़नी है अति कठिन लड़ाई, मचा हुआ है हाहाकार।।


*कन्हैया साहू 'अमित'*✍
भाटापारा छत्तीसगढ़ ©®


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...