कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" नई दिल्ली

हरो तिमिर माँ सर्वदे
शारद   सरसिज   शारदे , श्वेतकमल   आसीन। 
हरो   तिमिर   माँ  सर्वदे , कोराना      आस्तीन।।१।।
वाग्देवी     वीणाधरा , प्रातः     मम     अनुरोध।
करो त्राण व्यापित विपद,बालक जगत अबोध।।२।।
कल्याणी     वरदायिनी , महिमा      अपरम्पार। 
आदिशक्ति     संताप  हर , करो जगत   उद्धार।।३।।
हंसासन    हे    विधिप्रिये , वेदरूप      अवतार।
शुभदे    विमले    शारदे , हरो   शोक     संसार।।४।।
वरदे    वाणी   भारती , हरो  तिमिर   हर  शोक।
पावन    त्रिभुवन   श्रीप्रदे , करो जगत आलोक।।५।।
उजड़ा  लोक निकुंज   है , रोग शोक अभिशाप।
खिले  कुसम  सुरभित अमन, शुभदे हर संताप।।६।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नई दिल्ली


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