कुमार🙏🏼कारनिक*  (छाल, रायगढ़, छग)

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       *आदमी*
 (मनहरण घनाक्षरी)
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आदमी एक खिलौना,
कि रसोई में  भिगौना,
मति उसका  घूमा  के,
   मजबूर न कीजिये।
💫🌼
आदमी  उस  नाँव  में,
पतवार   के   ठाँव  में,
धार  जो  बह  रही  है,
      हालत समझिये।
💫🌸
हर    बार    टूट - कर,
सब  बात   सह - कर,
तब   बनता   आदमी, 
    साँचे मे न डालिये।
💫🏵
महामारी  से   लड़ता,
बिगड़े  काम   बनाता,
मानवता   के  प्रतीक,
    मौका उसे दीजिये।
💫🌻



*कुमार🙏🏼कारनिक*
 (छाल, रायगढ़, छग)
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