भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*"कन्या"* ("क" आवृतिक आनुप्रासिक वर्गीकृत दोहे)
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*कन्या कानन की कली, कल्प-कलित कुल-कंज।
कुहुकत कोकिल कुंज की, किलकत कुलक-करंज।।1।।
(11गुरु, 26लघु वर्ण, बल दोहा)


*किस-किस को कब-कब कहाँ, करना कन्यादान।
कैसे किस्मत को कहें, किस कर कहाँ कमान??2??
(13गुरु, 22लघुवर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)


*करके क्यों कुविचार को,  करते करम-कुवेश?
काटो कालिख-कुटिलता, कुवचन कपट-कलेश।।3।।
(11गुरु, 26लघुवर्ण, बल दोहा)


*कन्या की कर कामना, काहे कन्या-काल?
कलुषित कसमें काटना, कन्या कर करवाल।।4।।
(16गुरु, 16लघु वर्ण, करभ दोहा)


*करके कम क्यों कोसते? कन्या कुल-कलद्यौत।
कपिला-कौस्तुभ-कौशिकी, कुंकुम-कलश-कठौत।।5।।
(13गुरु, 22लघु वर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)


*कन्या कोकिल-कूकना, कानन-किलक-कुरंग।
काट कपट कटु-कोर को, काटे कुटिल-कुसंग।।6।।
(13गुरु, 22लघुवर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)


*कन्या कंचन कीमती, कल्याणी कलधाम।
काटे कुटिल-कलेश को, करती कितने काम।।7।।
(16गुरु, 16लघु वर्ण, करभ दोहा)


*कन्या कविता काव्य की, कुलकित कुलक करार।
कौशल-कौतुक-कौमुदी, कुहुकत कूल कछार।।8।।
(12गुरु, 24लघु वर्ण, पयोधर दोहा)


*कन्या कांता-कामिनी, कुल-केतन कनहार।
कुंजी-कांति-कुलेश्वरी, कामधेनु-करतार।।9।।
(16गुरु, 16लघुवर्ण, करभ दोहा)


*कन्या कणिका कनक की, कोष-कुंभ-कलदार।
कंचन-कुंडल कर्ण का, कल-कल कुल-कासार।।10।।
(13गुरु, 22लघुवर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)


*कन्या कजरी-काकली, क्वणन-कर्ण किलकाय।
कोकिल-कूजन कुटप की, क्यों कुलिंग कुम्हलाय??11??
(13गुरु, 22लघुवर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)


*कन्या कांक्षा-काशिका, कुल-कगार-किलवार।
कुसुमित केतक-कोकनद, कुसुम-कली-कचनार।।12।।
(12गुरु, 24लघुवर्ण, पयोधर दोहा)
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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