भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*"मर्यादा पुरुषोत्तम राम"*
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वर्गीकृत दोहे
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*आदि-अनादि अनंत हैं,
          अवतारी श्री राम।
पुरुषोत्तम सुखसार हैं,
           मर्यादा के धाम।।१।।


(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)


*धरम सिखाने राम ने,
      लिया मनुज अवतार।
भक्त तारने को किया,
            दुष्टों का संहार।।२।।


(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)


*संस्कृति की पहचान हैं,
     भव-अनुभव के धाम।
धरम-करम की प्रेरणा,
          रघुवंशी श्री राम।।३।।


(१३गुरु२२लघु वर्ण गयंद/मृदुकल दोहा।)


*भक्तों पर संसार में,
           बढ़ता अत्याचार।
करने दानव-दल दलन,
         लेते प्रभु अवतार।।४।।


(१४गुरु२०लघु वर्ण हंस/मराल दोहा।)



*भू पर अति जब-जब हुआ,
            दुष्टों का पाखंड।
तब-तब प्रभुजी अवतरे,
            देने उनको दंड।।५।।


(१३गुरु २२लघु वर्ण गयंद/मृदुकल दोहा।)


*महिमा-मंडित राम हैं,
            लीला अपरंपार।
मानव-दर्शन आप ही,
        सद्गुण के भंडार।।६।।


(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)


*सत्कर्मों के पुंज हैं,
       साध्य सदा श्री राम।
उन्नायक हैं सत्य के,
     कृपासिंधु-सुखधाम।।७।।


(१८गुरु१२लघु वर्ण मर्कट दोहा।)



*कारण निज पुरुषार्थ के,
          राम हुए प्रभु राम।
परिणति हैं आदर्श की,
     भव-भंजन भगवान।।८।।


(१२गुरु२४लघु वर्ण पयोधर दोहा।)


*वचन निभाने के लिए,
      किया राज का त्याग।
त्यागा भार्या जानकी,
       प्रजापाल-अनुराग।।९।।


(१७गुरु१४लघु वर्ण मर्कट दोहा।)


*धर्म-कल्पद्रुम बीज हैं,
       सुखदायक श्री राम।
तारक ऋषि-मुनि-संत के,
         संवर्धक-सत्काम।।१०।।


(१४गुरु२०लघु वर्ण हंस/मराल दोहा।)


*नाथ अनाथों के तुम्हीं,
         कृपासिंधु-भगवंत।
'नायक' करे बखान क्या?
     तुम हो आदि-अनंत।।११।।


(१५गुरु१८लघु वर्ण नर दोहा।)


*राम नाम की आस है,
              माया है संसार।
शरणागत मैं प्रभुचरण,
          कर दो नैया पार।।१२।।


(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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