*"मर्यादा पुरुषोत्तम राम"*
..................................
वर्गीकृत दोहे
..................................
*आदि-अनादि अनंत हैं,
अवतारी श्री राम।
पुरुषोत्तम सुखसार हैं,
मर्यादा के धाम।।१।।
(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)
*धरम सिखाने राम ने,
लिया मनुज अवतार।
भक्त तारने को किया,
दुष्टों का संहार।।२।।
(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)
*संस्कृति की पहचान हैं,
भव-अनुभव के धाम।
धरम-करम की प्रेरणा,
रघुवंशी श्री राम।।३।।
(१३गुरु२२लघु वर्ण गयंद/मृदुकल दोहा।)
*भक्तों पर संसार में,
बढ़ता अत्याचार।
करने दानव-दल दलन,
लेते प्रभु अवतार।।४।।
(१४गुरु२०लघु वर्ण हंस/मराल दोहा।)
*भू पर अति जब-जब हुआ,
दुष्टों का पाखंड।
तब-तब प्रभुजी अवतरे,
देने उनको दंड।।५।।
(१३गुरु २२लघु वर्ण गयंद/मृदुकल दोहा।)
*महिमा-मंडित राम हैं,
लीला अपरंपार।
मानव-दर्शन आप ही,
सद्गुण के भंडार।।६।।
(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)
*सत्कर्मों के पुंज हैं,
साध्य सदा श्री राम।
उन्नायक हैं सत्य के,
कृपासिंधु-सुखधाम।।७।।
(१८गुरु१२लघु वर्ण मर्कट दोहा।)
*कारण निज पुरुषार्थ के,
राम हुए प्रभु राम।
परिणति हैं आदर्श की,
भव-भंजन भगवान।।८।।
(१२गुरु२४लघु वर्ण पयोधर दोहा।)
*वचन निभाने के लिए,
किया राज का त्याग।
त्यागा भार्या जानकी,
प्रजापाल-अनुराग।।९।।
(१७गुरु१४लघु वर्ण मर्कट दोहा।)
*धर्म-कल्पद्रुम बीज हैं,
सुखदायक श्री राम।
तारक ऋषि-मुनि-संत के,
संवर्धक-सत्काम।।१०।।
(१४गुरु२०लघु वर्ण हंस/मराल दोहा।)
*नाथ अनाथों के तुम्हीं,
कृपासिंधु-भगवंत।
'नायक' करे बखान क्या?
तुम हो आदि-अनंत।।११।।
(१५गुरु१८लघु वर्ण नर दोहा।)
*राम नाम की आस है,
माया है संसार।
शरणागत मैं प्रभुचरण,
कर दो नैया पार।।१२।।
(१६गुरु१६लघु वर्ण करभ दोहा।)
................................
भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
.................................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें