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जो बलिदानों के गीत लिखे
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जो बलिदानो के गीत लिखे
मैं उसी कलम की स्याही हूं
हर धर्म युद्ध में जनता का
अदना सा एक सिपाही हूं
*
जिसके हाथों में सिर्फ कलम
जो सत्य उकेरा करता है
इतिहास साक्षी है उसका
यह धर्म सवेरा करता है
*
शब्दों में सच कर्मों में सच
अंगार जनित यह ज्वाला है
माता का है आशीष लिए
सत्पथ पर चलने वाला है
*
तूफान चले आंधी आए
जिस में हिम्मत हो टकराये
हिमगिरी जैसी जो सोच लिए
होता व्यक्तित्व निराला है
*
मनोज श्रीवास्तव
12 अप्रैल 2020 लखनऊ
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