कैसा हो मेरा स्वदेश
समवेत स्वरों में दो संदेश,
कैसा हो मेरा स्वदेश।
सकल विश्व में ध्वज लहराऐ,
भारत की यश कीर्ति गाएं।
मिटे ,भव , भय, तम,रोग क्लेश,
ऐसा हो मेरा स्वदेश।
सकल विश्व में नेता बनकर,
उभरे विश्व प्रनेता बनकर।
कण कण में बसे गीता संदेश,
ऐसा हों मेरा स्वदेश।
हर पुत्र में राम बसे,
हर पिता में दशरथ लखे।
मानवता का हो राज्याभिषेक,
ऐसा हों मेरा स्वदेश।
स्वदेशी बनने की इच्छा,
आज निकेश फैलाएगा।
हर युवा में भारत मां की,
स्वर्ण छवि दिखलाएगा।
निकेश सिंह निक्की समस्तीपुर बिहार
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