निशा"अतुल्य"
देहरादून
काव्य रंगोली
जलियां वाला बाग
14.4.2020
बैसाखी का त्यौहार
सुख समृद्धि पावन पर्व
नव जीवन का संचार
देता ज्ञान और ऊर्जा
आज का ही दिन था
हुआ जालियां वाला कांड था
निहत्थों का कर संहार
अपने को शूरवीर का दिया नाम था।
साहस का ज्वार फिर उमड़ पड़ा
जिसे तोड़ने का अंग्रेजों ने था काम किया
खाई थी मुँह की फ़िर ख़ुद ही
अपने ही पैरों पर वार किया।
ना हो कोई जलियांवाला कांड कभी
शत शत नमन उन वीरों को
देश के लिए जो तब बलिदान हुए
अब बैसाखी शुभ सदा देश को ।
पक गई गेहूँ की बाली
भर गए खेत खलियान सभी
थके किसान मनाये उत्सव
बजे ढोल नाचें नर नार सभी ।
खुशहाली के मंगल गान
रहे सदा भरे हमारे खलियान
नमन किसानों को शत शत
करते अन्नदाता सबको जीवन दान
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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