निशा"अतुल्य"
देहरादून
रामायण
30.4.2020
रामायण चरित्र आधारा
पढ़ो अगर जीना सिखाता
पिता वचन माता की आज्ञा
शिरोधार्य है सिखलाता।
भाई त्याग की कथा निराली
भक्ति की है ये रस प्याली
राज धर्म की पराकाष्ठा
नीति धर्म है सिखलाती।
अहिल्या के सत की कहानी
भीलनी के बेरों की रवानी
निषाद राज केवट के सङ्गा
तार दिए विधना के सङ्गा।
राम हुए एक पत्नी व्रत धारी
शूपर्णखा की जिद्दी जिससे हारी
रावण कुल का नाश हो गया
या रावण ने पीढ़ी स्वयं की तारी ।
नर वानर का सँग हुआ कैसे
सागर पुल बांधा हिय जैसे
वियोग भार्या से आकुलाये
लाये जीत वानर सँग जैसे।
अधर्मी का नाश बताती
राज्य अभिलाषा नही जताती
दिया राज्य उसी के कुल को
सर्वधर्म समभाव सिखाती ।
लाये सिया मन हर्षाये
राज्य अभिषेक हुआ सब गुण गाये
लोगो की कथनी कुछ ऐसी
संतप्त जिया सुन अकुलाए।
राम स्वयं में मंथन करते
राजधर्म की है कठिनाई।
सीता जान दुःख हिय का
किया त्याग पिय राज्य का।
रामायण की कथा निराली
त्याग प्रेम की सुन्दर वाणी
जिसने मन से इसको ध्याया
भव से स्वयं को पार लगाया।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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