निशा"अतुल्य"

इंतजार
4.4.2020


ये जागी सी रातें और तन्हाई
तुम ना आये
चिलमन पर लगी आँखे
चाँद ना दिखा।


परवाने की तलाश करती 
शम्मा बुझी 
कहर रात का हुआ
सुबह न हुई।


दर्द दिल का मेरे
क्यों दिखता नही
घड़ी इंतजार की 
क्या खत्म होगी कभी ।


रुकती साँसे मेरी
धड़कन रुकी नही
इंतजार है तेरा 
मुझे अभी ।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


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