नूतन लाल साहू

जीवन का सार
जीवन रथ के दो पहिया है
विज्ञान और अध्यात्म
विकास भी कर ले
भव पार भी हो जा
यही है,जीवन का सार
सुर दुर्लभ मानव जीवन तू पाया है
नहीं मिलेगा बारम्बार
सुख दुःख तो जीवन का अभिन्न अंग है
जीवन में मत होना उदास
प्रभु चरण,नौका है भव पार का
सीढ़ी है,माता पिता गुरु का आशीर्वाद
जीवन रथ के दो पहिया है
विज्ञान और अध्यात्म
विकास भी कर ले
भव पार भी हो जा
यही है जीवन का सार
लोभ सरिस,अवगुण नहीं प्यारे
तप नहीं सत्य समान
क्रोध हरे,सुख शांति को
अंतर प्रगटै आग
न धन तेरा,न धन मेरा
चिड़िया करत बसेरा है
सत्य धर्म से करो कमाई
भोगो सुख संसार
जीवन रथ के दो पहिया है
विज्ञान और अध्यात्म
विकास भी कर ले
भव पार भी हो जा
यही है जीवन का सार
तन भी जायेगा,मन भी जायेगा
जायेगा रुपयों का थैला
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी
संग चलेगा न अधेला
सुमिरन कर हरिनाम को प्यारे
मानुष जन्म सुधार लेे
जीवन रथ के दो पहिया है
विज्ञान और अध्यात्म
विकास भी कर ले
भव पार भी हो जा
यही है जीवन का सार
नूतन लाल साहू


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