प्रतिभा प्रसाद कुमकुम

(683)             *मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम*
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श्री गणेश को वंदन मेरा , पूर्ण करेंगे काम ।
विघ्न हरेंगे सारे ही वो , ले लो उनका नाम ।
मात् शारदे कृपा तुम्हारी, गढ़ देंगे आयाम ।
ले लो अपने मनोयोग से , प्रभू राम का नाम ।
मर्यादा पुरुषोत्तम हैं करते, जग का नित कल्याण। 
यही सत्य है कहते सारे, अपने वेद पुराण। 
प्रश्न उठा क्यूँ माँ सीता को, दिया गया वनवास ।
पालन का अधिकार दिया था, किसको है अहसास ।
बच्चों के पालन में था, निर्विरोध परिवार ।
प्रभू राम की यही व्यवस्था , सत्य जगत करतार।
सीता ने भी सहज लिया था , और सहज स्वीकार किया ।
प्रभू राम की थी ये लीला , उसको अंगीकार किया ।
लव कुश के पालन से जिसने , नारी का उत्कर्ष लिखा ।
एक अकेली नारी ने ही , जीवन का संघर्ष लिखा ।
संस्कार युत विकसित संतति , दिया  गुरू व नारी ने।
बच्चों को ममता से जोड़ा , प्रभू राम अवतारी ने ।
राजनीति की सारी शिक्षा, देनें से कब कतराए।
माँ की ममता देख देख कर, श्रीगुरुवर भी हर्षाए।
स्वस्थ सुदृढ सेवा हो निश्छल , ऐसी अनुपम शिक्षा थी ।
अंतस से स्वीकार करें ये, पावन पुण्य परीक्षा थी ।
राम की लीला राम हीं जाने , जो चाहे सो होय ।
माँ दुर्गा की पुण्यकृपा को, जान न पाया कोय।
सकल जगत की रक्षा का, जिसने कवच चढ़ाया था ।
लोक और परलोक हमारा, जिनसे शुभ हो पाया था। 
मर्यादा पुरुषोत्तम की लीला , मिलती हमें अनेक ।
सभी रुप मे वंदन प्रभुवर, परमपिता हैं एक ।।


 


🌹(सर्वाधिकार सुरक्षित स्वरचित)
      *प्रतिभा प्रसाद कुमकुम*
       दिनांक  12.4.19......



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