राजा गुप्ता भैया

पहले करके  संक्रमित, देश  करें  बदहाल। 
बनी व्यवस्था ध्वस्त हो,यही शत्रु की चाल।।
यही शत्रु  की  चाल  आत्म  हन्ता  हैं  सारे।
कोरोना  हथियार  मिला   फिरते   हैं  धारे।।
कर न सके अरि घात बढ़ा कर गरदन गहले।
तभी  मिलेगी  जीत  दण्ड  जब  देंंगे  पहले।।
      -'राजाभ'


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...