😊😊 "घरौंदा" 😊😊
भले घरौंदा फूस का,
रिखियो उसे सजाय।
मन प्रसन्न निज़ का करें,
औरों को भी भाय।
घर, घरौंदा, घोंसला,
मिले सकल संसार।
थलचर-नभचर जीव के,
ये जीवन आधार।
बने घरौंदा घर कहाॅ॑,
बिन गुणवंती नारि।
घरनी से ही घर कहें,
जो दे कुटी सवाॅ॑रि।
नहीं घरौंदा उस जगह,
कभी बनाना यार।
जहाॅ॑ नहीं बहती कभी,
प्रेमिल मंद बयार।
एक घरौंदा रेत का,
हमने लिया बनाय।
बना लिया हो महल ज्यों,
मन ऐसे हर्षाय।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें