राजेंद्र रायपुरी

😊 चिंतित काहे हो तुम भाई 😊


चिंतित तनिक न हो  तुम भाई।
  जमी   सतह  पर  है  जो काई। 
    लगता  भगवन   कर   ही  देंगे,
      अच्छी   अबकी   बार  सफाई।


दिखे  सरोवर   गंदा   ज़ग  ये।
  क्योंकि  थूक   रहे  हैं  ठग  ये।
    कर  लेने   दो  तनिक  सफाई। 
      काहे   चिंतित   हो  तुम   भाई।


सुमन दिखें बगिया कम भाई।
  लगे   बाढ़   काटों   की  आई।
    कहो बुरा  क्या  अगर  करे वो, 
      इन  काॅ॑टो की  तनिक सफाई।


गलत  करे  ना  कभी  विधाता।
  उसको समझ सभी कुछ आता।
    नासमझी   जब  बढ़  जाए  तो,
       लट्ठ  मार  कर   वो  समझाता।


बढ़े   नासमझ  ज़ग   में   भाई।
  विपदा    उनने    स्वयं    बुलाई।
    रब   का   इसमें   दोष  कहाॅ॑  है,
      क्यूॅ॑   कर   उसकी   करें   बुराई।


जो    होगा   अच्छा   ही   होगा।
  करो   यार  हर  दिन  तुम  योगा।
    घर   में   ही   रहना   है   तुमको,
      तब तक, जब  तक, कहे दरोगा।


          ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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