राजेश कुमार सिंह "राजेश"

*# काव्य कथा वीथिका #*-88
( लघु कथा पर आधारित कविता)
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ये रिश्ता , प्रकृति और मानव का । 
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हे नागफनी ! 
   तूं रूप बदलकर, 
               क्यों हँसती है़ । 
तेरे तन पर कांटे हैं , 
            काँटों मेंं मस्ती है़ ॥ 


तेरी मस्ती मेंं रूप तेरा , 
                    न्यारा देखा । 
तुने पत्ते धारे , 
         पुष्प भी प्यारा देखा ॥ 


शायद मेरी नजरों मेंं, 
              कु़छ अंतर आया । 
शायद मेरा घर , 
             मेरा आंगन भाया ॥ 


कांटे फ़ूलों मेंं बदले , 
               या मौसम बदला ॥ 
क्या, कु़छ खुशियाँ आई, 
                   या गम बदला ॥ 


तेरा मेरा रिश्ता , 
      माना सच मेंं नाजुक था । 
शायद कुछ गलती की थी, 
       इस कारण भौचक था ॥ 


प्रकृति और मानव का, 
           रिश्ता बहुत पुराना है़ । 
मन की गहराई को  समझा, 
           यह पक्का याराना है़ ॥ 


यदि यह यारी, 
            फिर से कायम होगी । 
सच मानो , 
       सारी बीमारी गायब होगी ॥ 
     
राजेश कुमार सिंह "राजेश"
दिनांक 06-04-2020


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