राजेश कुमार सिंह "राजेश"

*# काव्य कथा वीथिका #*-85
( लघु कथा पर आधारित कविता)
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 जीवन रेखा कितनी पतली....
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कर्म के पथ का अनुगामी हूँ, 
          कर्म के पथ पर चलता हूँ । 
आँखों का निर्मल आँसू हूँ, 
           उज्जवल जल बन  बहता हूँ ॥ 


जीवन को निःस्वार्थ भाव से , 
                 जीने का संकल्प लिए ।
 राग द्वेष से विरत जिंदगी, 
         सुख दुःख का विकल्प लिए ॥ 


 जीवन तट पर मोती चुनता, 
                 और हृदय मेंं रखता हूँ । 
नही शौर्य और मौर चाहता, 
             पाँवो के तल  रहता हूँ ॥ 


मैं धरती की धूल सदृश्य हूँ, 
                  दिल ईश्वर मेंं रमता है़ । 
मुझको चरण पादुका समझो, 
                      जो पैरों मेंं रहता है़ ॥ 


मेरी एक छोटी दुनियाँ है़, 
                  छोटे घर मेंं रहता हूँ । 
छोटी छोटी गलती करता, 
              क्षमा मांग कर जीता हूँ ॥ 


जीवन रेखा कितनी पतली, 
          इसको अब बतलाना क्या । 
जो भी जीवन शेष बचा, 
        उसमे "हम" को लाना क्या ॥ 


कर्म हमारी पूंजी है़ , 
                 उसके संग मेंं जीता हूँ । 
जितनी श्वासे दी ईश्वर ने, 
                 उन श्वासों संग रहता  हूँ ॥ 



राजेश कुमार सिंह "राजेश"
दिनांक 03-04-2020


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