*# काव्य कथा वीथिका #*-94
( लघु कथा पर आधारित कविता)
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हम समझ गये संकेतों से ।
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एक दिन मेरी प्यारी दुनियाँ,
मेरे सपनों मेंं आई थी ।
मै समझा कोई पास खड़ा,
जैसे कोई परछाई थी ॥
हौले से मेरे कानों मेंं ,
सागर की लहरें टकराई ।
झुर झुर बह रही हवाओं से,
मीठी मीठी सुगन्ध आई ॥
फिर देखा एक विहंगमाल ,
मेरे वक्षस्थल से गुजरा ।
काले बादल के मध्य तभी,
सूरज सागर तट से निकला ॥
गुंजन करते भँवरे बोले,
देखो ये पुष्प खिल रहे हैं ।
वन जीव जंतु ,जलचर, नभचर,
देखो क्या कु़छ कह रहे हैं ॥
हम समझ गये संकेतों को ,
वे चाह रहे हैं क्या कहना ।
हमने भी आश्वासन दे दी,
हमको है नियमो मेंं रहना ॥
हम एकाकी जीवन जिएंगे,
दूरी पर्याप्त बनाएंगे ।
सद्भाव सुमन बरसाएंगे,
मुंह पर हम मास्क लगाएंगे ॥
स्वच्छता प्रकृति की है पसंद ,
हम नियमित हाथ धुलायेगे ।
कर जोड़ कर हम करते प्रणाम,
हम कभी ना हाथ मिलाएंगे ।
फिर दुनियाँ ने हमसे बोला,
क्या तुने पक्का ठान लिया ।
तॊ प्यार करेगें फिर तुमसे,
यदि निर्देशो को मान लिया ॥
राजेश कुमार सिंह "राजेश"
दिनांक 12-04-2020
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