*# काव्य कथा वीथिका #*-84
( लघु कथा पर आधारित कविता)
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हे राम ! कहो सब राम बनें,
(चैत्र राम नवमी पर विशेष )
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हे राम ! आप का जन्म हुआ,
भारत की पावन मिट्टी मेंं ।
सदियों पहले की घटना है़ ,
यह झलक रही हर दृष्टि मेंं ॥
राजा दशरथ थे राम पिता ,
लव कुश भी थे संदेह नही ।
तीन और भ्राता भी थे ,
चर्चा मेंं थे विदेह कही ॥
पर राम, आपने मानदण्ड ,
कु़छ ऐसा रच कर दिखा दिया ।
निज नाम राम का, हे राघव,
ब्रह्म शब्द ही बना दिया ॥
जब वन जाने की बात हुईं,
मन मेंं विच्छोभ नही आया ।
जो सुख चौथेपन मिलता है़,
वह सुख बचपन मेंं ही पाया ॥
ऐसे ही वाक्य ऊचारे थे,
माता कैकेयी से तुमने ।
वस्त्रों का मान घटाया था,
तन से छोड़े थे गहने ॥
मतंग शिष्य सब दंग हुऐ,
जब माँ शबरी के घर आये ।
ऋषिगण के भोग तजे तुमने,
जूठे बेरों को भी खाए ॥
जड़, जीव और जंगल ,जल से,
मित्रता अनोखी कर ली थी ।
सब तेरे प्यार मेंं पागल थे,
एक गिद्ध को गोद मेंं भर ली थी ॥
हे राम ! कहो सब राम बनें,
अनुसरण तेरे जीवन का हो ।
दर्शन तेरा हो, या ना हो ,
दर्शन तेरे मन का ही हो ॥
राजेश कुमार सिंह "राजेश"
दिनांक 02-04-2020
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