आज की कुण्डलिया ~
02/04/2020
------- परिपाटी ------
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परिपाटी का मान रख , जो भी हो अनुकूल ।
ये हितकर हैं हर समय , सब सुख के शुभमूल ।।
सब सुख के शुभ मूल , जुड़े हैं संस्कारों में ।
समय व्यक्ति संबंध , बहे अविकल धारों में ।
कह ननकी कवि तुच्छ , आज जो मिली मुँहाटी ।
कारण कल्प विधान , यही केवल परिपाटी ।।
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परिपाटी निर्माण कर ,जो हो अति नमनीय ।
सृष्टि प्रलय के बाद भी , बना रहे भवदीय ।।
बना रहे भवदीय , निरंतर हो अनुपालन ।
मन चित रहे प्रसन्न , नियम ऐसे मनभावन ।।
कह ननकी कवि तुच्छ , पुकारे अपनी माटी ।
रचो विमल सुविधान , अमरता की परिपाटी ।।
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परिपाटी सब तोड़कर , करते हैं उपहास ।
नये जमाने की चमक , पश्चिम पंथ विलास ।।
पश्चिम पंथ विलास , मशीनी मानव गढ़ता ।
भाव रंग से शून्य , निकटता आहें भरता ।।
कह ननकी कवि तुच्छ , इसे जिसने भी काटी ।
अपमानित हर काल , छोड़ता जो परिपाटी ।।
~ रामनाथ साहू " मुरलीडीह "
मुरलीडीह
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