संदीप कुमार बिश्नोई दुतारांवाली अबोहर जिला फाजिल्का पंजाब

जय माँ शारदे


वियोग श्रृंगार में एक गीत
मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२


आपके बिन साजना रजनी मुझे अब खा रही , 
नैन से आँसू बहाती पीर उर से गा रही। 


छोड़ तुम जब से गये उर में लगी ये आग है , 
रस नहीं है जिंदगी में खो गए शुभ राग है। 
रात भी कटती नहीं सर पे खड़ी है काल बन ,
है विरह पावक लगी जलने लगा जो आज तन। 


चाँद की शीतल सुहानी चाँदनी शर्मा रही , 
नैन से आँसू बहाती पीर उर से गा रही। 


धूल जब उड़ती दिखे तो आस भी मन में जगे , 
बिन तुम्हारे साजना मम सेज कंटक सी लगे। 
द्वार पर नित मैं खड़ी पथ देखती हरपल रहूँ , 
अश्क बहती धार बढ़ती पीर कैसे मैं सहूँ। 


आ मिलो साजन गले से देह तज मैं जा रही , 
नैन से आँसू बहाती पीर उर से गा रही। 


स्वरचित 
संदीप कुमार बिश्नोई
दुतारांवाली अबोहर जिला फाजिल्का पंजाब


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