संजय जैन (मुम्बई)

*अनुकूल सोच*
विधा: गीत


अनुकूल रहे प्रतिकूल रहे,
भाव हृदय में पवित्र रखे।
जो भी ऐसा कर पाता है,
जीवन में आनंद पाता है।।


चुगल खोर चुगली करे,
और चोर चोरी से बाज़ न आवे
ऐसे लोगो को लोग ही, अपने आजू बाजू न बैठाए।
और आते ही ऐसे लोगो के, 
लोग हो जाते सावधान।
और यहां वहां खिसकाने की, 
कौशिश वो करने लगते।।
अनुकूल रहे प्रतिकूल रहे,
भाव हृदय में पवित्र रखे।।


सदैव मिलने को व्याकुल रहते,
अच्छे और सच्चे लोगो से।
संगत का असर निश्चित पड़ता, 
हर किसी के जीवन पर।
तभी तो लोगो को शिक्षा प्रति,
करते है हम सजक।
जिससे हो जाएगा एक,
 सभ्य समाज का निर्माण।।
अनुकूल रहे प्रतिकूल रहे,
भाव हृदय में पवित्र रखे।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
12/04/2020


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