*बेवफाई*
विधा : गीत
आवाज़ देकर मुझे
मत बुलाओ।
में किसी और कि
अब हो चुकी हूँ।
पहले में तुम पर
बहुत मरती थी।
पर तुम किसी और
पर तब मरते थे।।
मेरी सांसो में तब
तुम बसते थे।
पर तुम्हारी सांसो में
तब कोई और बसता था।
पर अब में किसी और
कि सांसो में बसती हूँ।
तुम्हे मिली है तुम्हरी,
बेफाई की सजा ये।
तभी तो छोड़ दिया है,
तुम्हारी मेहबूबा ने।।
आवाज़ देकर मुझे
मत बुलाओ.....।।
जब में एक जिंदा,
लास बन गई हूँ।
तब तुम भी एक,
लास बनके आये हो।
अब दोनों की जिंदगी,
में मोहब्बत कहाँ है।
हमने ने तो नारी धर्म,
का निर्वाह कर दिया है।
माता पिता की खातिर,
अपने को अर्पण कर दिया है।
मोहब्बत न मिलने से
ये सब हुआ है।।
आवाज़ देकर मुझे
मत बुलाओ.......।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
09/04/2020
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