संजय जैन (मुम्बई)

*दिल की बेचैनी*
  विधा: गीत


न दिल मेरा लग रहा, 
न मन मेरा लग रहा।
एक अजब सी बेचैनी,
मेरे दिलमें हो रही है।
करु तो क्या करूँ में,
दिल की बेचैनी के लिए।
यदि हो कोई इलाज तो,
मेरे जान तुम बता दो।।


कब से तुम्हारे आने का,
में कर रहा यहां इंतजार।
न तुम आये न तुम्हारा,
आया कोई प्यार भरा पैगाम।
तभी तो नजरे झुक गई,
तेरा इन्जार कर कर के।
और कम होने लगी धड़कने,
तेरी एक झलक न देखने से।।


यदि है सच्चा प्यार तुम्हें,
तो मिलने को तुम आओगे।
और अपने दिल की बाते,
हम को तुम बताओगे।
हो सकता है यही बाते, 
सुनने को दिल तड़प रहा हो।
मिलेगा साथ जब तेरा तो,
सुकून भी दिलको मिल जाएगा।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
07/04/2020


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