*पास बुलाती है*
विधा : कविता
प्यार की चाह में हम,
कुछ ऐसा कर गए।
रोज देखने लगे तुम्हे हम,
मोहब्बत करने के लिए।
दिल खिलता जाता है,
तुम्हें मुस्कराते देख कर।
दिलमें उमंगे जग जाती है,
और धड़कने बड़ा देती है।
और दिल में प्यार की हलचल,
हमारे हृदय में जगा देती है।।
सपनो में भी अब,
वो देखने लगे है।
सोते जागते भी समाने,
वो ही वो आने लगे है।
तभी तो रातभर करवटे बदलकर,
बिना सोये गुजार रहे है।
ये प्यार है या मोहब्बत उनसे,
ये हम नही जानते है।।
आंखों के मिलने मात्र से,
उनसे प्यार हो रहा है।
दिलदिमाग पर एक नशा सा,
छाये जा रहा है।
और उनका चेहरा दिल मे,
तरंगों की तरह दौड़ रहा है।
और उनकी धड़कनो को,
अपने पास बुला रहा है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
20/04/2020
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