जला नेह के दीप
दे दिया एक संदेश
अक्षुण व अखण्ड
अपना भारत देश
सीमाओं में न बंधे
और न अविभाज्य
राष्ट्रहित की बात में
जाति धर्म त्याज्य
जब आपद से घिरे
छोड़ सभी मतभेद
राष्ट्र प्रेम के जाल में
अनुभव हुए न खेद
हम सब मिल एक
एक है भारत देश
प्राण भी आहूत है
सबने दीन्हा संदेश
जीवन ज्योति बन
जले है राष्ट्र अनुराग
न देश से कोई बड़ा
हृदय एक ही राग
करें प्रकाशित भूमि
स्नेह आपूरित दीप
रहें समर्पित सर्वजन
सामान्य रंक महीप।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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