तन समर्पित मन समर्पित और समर्पित जीवन सारा
हे मुरलीधर प्यारे मनमोहन हमारे लिए तू प्राणों से प्यारा
तेरे चरणों में रहकर हम अक्षुण संस्कृति का गान करें
गंगा यमुना की तहजीब लिए नवयुग का निर्माण करें
एक ही जाति थी आर्यावर्त में आर्य ही थी पहचान
गुरु गौरव को प्राप्त किया और विश्व का किया कल्याण
प्रण पण से करें प्रतिज्ञा हम संकीर्णता का त्याग करेंगे
मानव है तो मानवता के लिए हम जियेंगे और मरेंगे।
श्री माधवाय नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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