आत्मतत्व...........
सृष्टि पर दृष्टि डालो
दो पुरुष रहे समाय
नाशवान अविनाशी
श्री कृष्ण रहे बताय
तन इसमें नाशवान
प्रतिपल होवे ये नष्ट
बार बार परिवर्तित
और पाता रहे कष्ट
भीतर सत्ता विराजे
अजर अमर बलवान
अविनाशी बदले नहीं
ब्रह्म तत्व विद्यमान
हर प्राणी में छिपा है
नित्य शाश्वत भगवान
अविकारी पुण्यात्मा
पुरुषोत्तम अपरिमान
जन्म मृत्यु अरु वृद्धि
अपक्षय आदि विकार
ये क्रिया है शरीर की
आत्मतत्व अविकार
नित्य शाश्वत अजन्मा
अविकारी व अकाम
सदा एक रस आत्मा
दोष रहित निष्काम
जन्म अस्तित्व बढ़ना
क्षीणता स्थिरता नाश
षड विकार शरीर के
न आत्मतत्व में वास
परिवर्तन शील काया
अविनाशी आत्मरूप
पुरुषोत्तम ही जानते
आत्मा दिव्य स्वरूप।
श्रीकृष्णाय नमो नमः💐💐🌺🌺🌸🌸🌹🌹🍁🍁🙏🙏🙏🙏🙏
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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