सत्यप्रकाश पाण्डेय

जीवन एक अनबूझ पहेली
मत गहराई में जाओ
दुःख सुख लिखे जो भाग्य में
सहर्ष उन्हें अपनाओ


जिस पर नहीं है बस तुम्हारा
क्यों बार बार दोहराओ
वही मिलेगा जो कर्म किया है
न बार बार पछताओ


जीवन रूपी इस छकड़ा में
कर्मभाग्य के चक्र लगे
कहीं शिखर कहीं गहरी खाई
कहाँ सुलाये कहाँ जगे


समझ उसे तू प्रसाद प्रभु का
नर जीवन अंग बना ले
वहीं है हानि लाभ के दाता
उन्हें हृदय से अपना ले


पुरुषार्थ चतुष्टय का लक्ष्य ले
मूरख दे धर्म पर ध्यान
सब कुछ तेरा यहीं रहना है
धर्म ही मोक्ष सोपान


दुःख सुख तो मन की अवस्था
मन से कभी नहीं हार
कर्म अनल से तपा ले जीवन
कर नारायण से प्यार


डाल के दृष्टि देखा जग सारा
नहीं और कोई आधार
तुझे मिले सुफल व सफलता
तुम भजो"सत्य"करतार।


श्री त्रिलोकनाथाय नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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