जिसने हृदय की आँखों से,विश्व रूप को जान लिया।
अन्तर्मन की चेतनाओं से, परमब्रह्म को पहचान लिया।।
बिन देखे ही नटवर नागर के, बाल रूप का गुणगान किया।
जग वंदन हृदय चंदन की, छवि को हिय में स्थान दिया।।
सौभाग्यशाली कौंन जगत में, श्याम सखा सूरदास सा।
रवि रश्मियां भी फीकी लगतीं, अनुपम दिव्य प्रकाश सा।।
किया आलोकित ज्ञान दीप से, प्रकाशमान हुआ जग सारा।
नक्षत्र मध्य ज्यों चन्द्र ज्योत्सना, कवियों बीच चमके वो तारा।।
सूर सखा श्याम की जय🙏🙏🙏🙏🙏
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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