सत्यप्रकाश पाण्डेय

हे ईश्वर!अब दया करो..


तेरे इश्क़ में हुआ में पागल
ओ जीवन के रखवारे
तेरे सिवाय न कोई हमारा
लो हमें शरण में प्यारे


तुम्हीं हो जीवन मूल हमारे
तुमसा और नहीं कोई
तुम ही आशा विश्वास हमारे
स्वामी चाहो जो होई


विकट जाल में फंसा है मानव
राह नहीं दीखें कोई
यहां बन शत्रु आयों कोरोना
अब देख जिंदगी रोईं


कारागार बना अपना ही घर 
धूप वात को भी तरसे
डर लगता अपनों से मिलने में
दुख के बादल हैं बरसे


विचित्र बनी हुई जीवन शैली
दहशत सी छाई रहती
खिलबाड़ करे मानवमूल्यों से
रब वाणी ऐसा कहती


जब जब प्रकृति प्रतिकूल हुआ नर
खुद ने संतुलन बनाया
दंभ भरे मानव के जीवन को
ईश्वर का ज्ञान कराया


औकात दिखा दी हो मानव को
कर रहा कोई उपहास
कि सर्वशक्तिमान परमब्रह्म है
कुछ भी नहीं तेरे पास


हाहाकार सर्वत्र मचा हुआ
कोई आकर मदद करो
हाथ नहीं है कुछ भी मानव के
हे ईश्वर!अब दया करो


प्रभु है अटूट विश्वास"सत्य"को
तुम सबके कष्ट हरो ना
कौंन काज दुर्लभ तुम्हें भव में
फिर क्या बेचे कोरोना?


भव संताप तारणहार परमात्मने नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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