सीमा शुक्ला अयोध्या।

चलों जलाएं एक दिया फिर
मानवता का दें संदेश।
आशा की किरणें बिखेरकर,
जगमग कर दें पूरा देश।


एक दिया भारत माता का
एक दिया मां की ममता का
एक दिया जो राह दिखाए,
मन के तम को दूर भगाए।
एक दिया ईश्वर से विनती
दूर करें सब मानव क्लेश,
चलो जलाएं एक दिया फिर
मानवता का दें संदेश।


एक दिया हो बुद्धि- शुद्धि का,
जाति धर्म इंसान भुलाए।
एक दिया जो मानव मन में,
प्रेम, दया की ज्योति जलाए।
एक दिया  जो ये बतलाए
देश से बड़ा न धर्म विशेष।
चलो जलाएं एक दिया फिर
मानवता का दें संदेश।


एक दिया हौंसला बढ़ा दे
भारत के हैं कर्म वीर जो।
एक दिया हो उस किसान का
अन्न उगाते धरा चीर जो।
एक दिया यादों में उनकी
जिनकी है स्मृति बस शेष।
चलो जलाएं एक दिया फिर
मानवता का दें संदेश।


एक दिया हो दुआ हमारी,
फिर महके जग की फुलवारी।
एक दिया गम धुंध मिटा दे।
अंतस मन उम्मीद जगा दे।
एक दिया हो देश प्रेम का
है अखंड भारत हम एक
चलो जलाएं एक दिया फिर
मानवता का दें संदेश।


आशा की किरणें बिखेरकर
जगमग कर दें पूरा देश।


सीमा शुक्ला अयोध्या।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...