शशि कुशवाहा लखनऊ,उत्तर प्रदेश

"तुम बिन "


ए मेरे हमदम ,
ए मेरे हमनवाज ।
तुम बिन अधूरा ,
मेरा हर एहसास।


मेरी कविता है अधूरी,
अधूरी है मेरी कहानी।
मेरा इश्क है अधूरा,
अधूरी मेरी जिंदगानी।


दिन का उजाला हैं अधूरा,
अधूरी है ढलती हुई शाम।
खामोश रात है अधूरी,
अधूरे है मेरे हर ख्वाब।


मेरी पूजा है अधूरी,
अधूरी है हर इबादत।
महकी हुई बात अधूरी,
ठहरे हुए जज्बात अधूरे।


सुनसान रास्ता हैं अधूरा,
अधूरी है राहो की मंजिल।
जिंदगी के हर रंग है अधूरे,
अधूरी है सारी खुशियाँ ।


मेरी आशिकी है अधूरी,
अधूरी है मेरी शायरी।
बेचैन सांसे है अधूरी,
अधूरी है मिलन की प्यास।


तुम बिन हूँ तन्हा,
 बिलकुल अधूरी।
पूरी कर दो अब ,
मेरी जिंदगी अधूरी।


शशि कुशवाहा
लखनऊ,उत्तर प्रदेश


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