बच्चो के घर रहने पर ना बढने दे तनाव।
फिर ऊन्हे कागज से बनाते सिखाए नाव।
एक टब मे डालकर चलाए उसे।
फिर कापी पेन.से चित्र बनवाए।
थोडी देर ऊनके साथ बैठकर खेले।
और सबके सब मिलकर बनाए मेले।
छुपाछाई खेल खेल मे बढाए घर मे मेल।
और कही चूटकूलो से.हंसाकर फूलाए पेट।
गाना टेप मे लगाकर नृत्य करे बच्चे।
फिर खूद बडे भी करे, यही है सच्चे।
जिंदगी मे देर तक सोने मत देना।
थोडा ऐसे थका देना ,जल्दी वे सो जाए।
और जल्दी ऊठाकर उनको काम पर भी लगाए।
भाई बहन झगडे ना इसका रखना ध्यान।
अगर झगडा होता है। अब समझाना तुम्हारा काम।
और किताबो की बाते.भी ज्ञान,
बताना कहानी से।
देखो हंसकर सुन रही चुप बैठी रानी से।
यही उतम होगा जब बच्चे बोर ना होगे।
और झूमाझुमी ना करके पाठ शाला सा रहेगे।
श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार
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