सुनील कुमार गुप्ता

कविता;-
         *"कौमी एकता"*
"कौमी एकता का देते रहे संदेश,
देश की विपत्ति मे भी-
माने न किसी की बात।
होते रहे इक्कठा मस्ज़िद और मदरसो में,
मानी न किसी बात-
दिया देश की सफलता को आघात।
विवाद पर विवाद बढ़ता रहा,
अपने हो कर भी अपने नही-
कैसे-बनेगी अब बात?
विकट परिस्थिति में भी,
होना न विचलित-
सुनो मन की बात।
कौमी एकता की बात करते,
देखा मस्ज़िद मदरसो का हाल-
मुश्किल घड़ी में बिगड़ी बात।
अब विवाद नही समाधान चाहिए,
कौमी एकता की-
मिशाल की हो बात।
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सभी जब,
करें देश हित की बात-
सार्थक हो कौमी एकता की सौगात।।
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः            सुनील कुमार गुप्ता
    07-04-2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...