कविता:-
*"चलते-चलते"*
"चलते-चलते जीवन पथ पर,
साथी कभी भूल कर भी-
सत्य-पथ से भटक न जाना।
सद्कर्मो संग जीवन में साथी,
इस जग में-
अपना धर्म निभाना।
प्रेम सुधा में हीं जीवन पथ साथी,
अपनत्व संग -
बढ़ते जाना।
उपजे न नफ़रत जीवन में,
मधुर वाणी से -
संबंधों को महकाना।
सार्थक हो जीवन साथी,
प्रभु भक्ति की -
मन में ज्योत जगाना।
चलते-चलते जीवन पथ पर,
साथी कभी भूल कर भी-
सत्य-पथ से भटक न जाना।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
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