कविता:-
*"आत्मविश्वास"*
"आत्मविश्वास की धरती पर ही,
जीवन के सपने -
होते हैं-साकार।
विश्वास और आत्मविश्वास तो ठीक,
अतिविश्वास से ही-
उपजता है-विकार।
सत्य-पथ और सद्कर्मो से ही,
दृढ़ होता विश्वास-
बनी रहती आस।
टूटे न आस जीवन की,
साथी मिल-
नित करना यही प्रयास।
विश्वास से ही बढ़ता आत्मविश्वास,
टूटे न कभी आस-
बना रहे आत्मविश्वास।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता 05-04-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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