सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"आत्मविश्वास"*
"आत्मविश्वास की धरती पर ही,
जीवन के सपने -
होते हैं-साकार।
विश्वास और आत्मविश्वास तो ठीक,
अतिविश्वास से ही-
उपजता है-विकार।
सत्य-पथ और सद्कर्मो से ही,
दृढ़ होता विश्वास-
बनी रहती आस।
टूटे न आस जीवन की,
साथी मिल-
नित करना यही प्रयास।
विश्वास से ही बढ़ता आत्मविश्वास,
टूटे न कभी आस-
बना रहे आत्मविश्वास।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता          05-04-2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...